Wednesday 1 February 2012

अपरिग्रह क्रान्ति की रूपरेखा


वर्तमान में मनुष्‍य संचय में अपना भविष्‍य देख रहा है जबकि उसके दुखों की निवृत्ति का उपाय अपरिग्रह में है। इसमें नया ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे हम पहले से न जानते हों किन्‍तु, पाश्‍चात्‍य प्रभाव के चलते देश की वर्तमान परिस्थितियां ऐसी हो गयी हैं कि न चाहते हुए भी पैसे की होड़ से बाहर निकलने का कोई मार्ग सूझता दिखायी नहीं पड़ता।
      हमें यह समझना चाहिए कि भारत विश्‍वगुरु के रूप में इस लिए गौरवशाली अतीत का स्‍वामी नहीं रहा है क्‍योंकि भारत के पास गगनचुम्‍बी इमारतें, सड़कें और विशाल पुल रहे हैं अपितु भारत का स्‍थान इतिहास में इस लिए उल्‍लेखनीय रहा है क्‍योंकि भारत ने अपनी मिट्टी की सुगंध से गूंथकर अनेक अनुकरणीय व्‍यक्तित्‍व के स्‍वामी मनीषियों का चरित्र निर्माण किया है। भारत के सन्‍दर्भ में यह कथन यद्यपि विशेष रूप से सटीक है, तथापि इसकी सत्‍यता विश्‍व के किसी भी देश के लिए प्रमाणित है।
      यह चिन्‍तनीय है कि भारत की परमुखापेक्षिता ने भारत की जनता को किस प्रकार दैन्‍यता का शिकार बनाया है। लोभ एवं लम्‍पट राजनीतिज्ञों ने जहां एक ओर भारत को भ्रष्‍टाचार का पर्याय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, वहीं आपसी भितरघात का सामना करते करते भारत की जनता बुरी तरह बेहाल हो चुकी है। अराजकता और कुशासन का ऐसा कुप्रभाव पड़ा है कि एक ही भारत के भीतर ऐसे कई वर्गों की रचना हो गयी है जिनकी सोच में आपस में कोई तालमेल ही नहीं है। इसके परिणामस्‍वरूप प्राय: यह देखने में आ रहा है कि भारत के अनेक सुधारवादी नेतृत्‍व अहिंसा के राजपथ से विचलित होकर किंकर्तव्‍यविमूढ़ से दिखायी पड़ रहे हैं।
      लोभ विषाणुओं से जनित भ्रष्‍टाचार के रोग से ग्रस्‍त वर्तमान भारत को इस बार अहिंसक नहीं अपितु अपरिग्रह क्रान्ति की आवश्‍यकता है जिसका उद्देश्‍य सतत क्रियाशील होकर वर्तमान भारत को पूरी तरह मथकर उसके गर्भ में से पुन: नये भारत का सृजन करना होगा।
      लोभ शमन का एकमात्र शास्‍त्रसम्‍मत उपाय दान है। दान की कसौटी उत्‍तम च दत्‍तं च के सूत्र में निहित है अर्थात् जो हमारे पास सर्वोत्‍तम हो उसे हम अपने से श्रेष्‍ठ सत्‍ता को दानरूप में समर्पित करें। इस प्रकार सर्वोत्‍तम प्रतिदान के सिद्धान्‍त को प्रयोग में लाकर हमें अपरिग्रह क्रान्ति की व्‍यूह-रचना करनी होगी।
      अपरिग्रह क्रान्ति के प्रथम चरण में हमें भारत के प्रत्‍येक ग्राम में सामाजिक कार्यकर्ता पहचान शिविर का आयोजन करके भारत राष्‍ट्रीय परिवार द्वारा प्रतिपादित चुनाव प्रणाली को प्रयोग में लाकर लोकप्रियता सूचकांकों का निर्धारण करते हुए दस जन सेवकों का चुनाव करना है।
      ग्रामजनसेवकों के चुनाव की सरल शब्‍दों में प्रक्रिया इस प्रकार है। ग्रामजनसेवक हेतु इच्‍छुक प्रत्‍याशियों की सूची में से प्रत्‍येक परिवार के मुखिया द्वारा अपनी पसंद के एक से लेकर दस तक क्रम देते हुए प्रत्‍याशियों के नाम अंकित किये जायेंगे। (मितव्‍ययिता के दृष्टिकोण से यह प्रक्रिया भी अपनायी जा सकती है कि इच्‍छुक प्रत्‍याशियों के नाम के आगे एक कोड अंकित कर दिया जाये फिर एक छोटी सी पर्ची पर परिवार के मुखिया द्वारा प्रत्‍याशियों के नाम की जगह केवल उनका कोड एक से दस तक क्रम देकर अंकित कर दिया जाये।) इस प्रकार प्रत्‍येक परिवार से प्राप्‍त मतपत्रों को एक छोटी सी पेटी में जमा करके मतगणना के पश्‍चात् निर्वाचित जनसेवकों के नाम एवं उनकी मतशक्ति अथवा लोकप्रियता सूचकांक की घोषणा की जायेगी।
      निर्वाचित जनसेवकों द्वारा अपने आसपास के ग्रामों में भारत राष्‍ट्रीय परिवार की अवधारणा एवं प्रतिपादित चुनाव प्रणाली का प्रचार करके सामाजिक कार्यकर्ता पहचान शिविर का आयोजन कराया जायेगा। इस प्रकार भारत के प्रत्‍येक ग्राम में जनसेवकों के निर्वाचन का लक्ष्‍य सफलतापूर्वक प्राप्‍त किया जायेगा।
      एक जनपद के ग्रामों में यह कार्य पूरा होते ही सर्वोत्‍तम प्रतिदान के सिद्धान्‍त के अनुरूप सभी ग्रामों में क्रमांक एक पर निर्वाचित जनसेवक आपस में मिलकर दस जनपदस्‍तरीय जनसेवकों का निर्वाचन करेंगे।
      इस प्रकार निर्वाचित जनसेवकों द्वारा परस्‍पर सहयोग करते हुए ग्राम व जनपद की वर्तमान समस्‍याओं के प्रति स्‍थानीय प्रशासन का ध्‍यानाकर्षण कराते हुए  निस्‍तारण  कराया जायेगा।
      अपरिग्रह क्रान्ति के द्वितीय चरण में राज्‍य एवं राष्‍ट्रस्‍तर पर जनसेवकों का निर्वाचन भारत राष्‍ट्रीय परिवार द्वारा प्रतिपादित चुनाव प्रणाली के अनुसार कराया जायेगा। राज्‍य एवं राष्‍ट्रस्‍तर के जनसेवकों द्वारा परस्‍पर सहयोग से भारत राष्‍ट्रीय परिवार की अवधारणा के अनुरूप राष्‍ट्र निर्माण के विविध क्षेत्रों में उसके स्‍वरूप एवं नीतियों का विकास करते हुए जनमानस को पूरी तरह उससे सुपरिचित कराया जायेगा एवं भारत की जनता के अपना स्‍वर्णिम भविष्‍य स्‍वयं अपने हाथों से लिखने के लिए उत्‍साहित किया जायेगा।

                                                            जय भारत!!

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